16. वाक्य भेद
16. वाक्य भेद
वाक्य भेद तीन आधारों पर किये जा सकते है।
(क) रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं:
1. सरल वाक्य
2. मिश्र वाक्य
3. संयुक्त वाक्य
(ख) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद होते हैं:
1. विधिवाचक
2. निषेधवाचक
3. आज्ञावाचक
4. प्रश्नवाचक
5. विस्मयाचक
6. सन्देहवाचक
7. इच्छावाचक
8. संकेतवाचक
(ग) क्रिया की दृष्टि से भी वाक्य के भेद किए जाते हैं।
रचना की दृष्टि से वाक्य के भेद
1. सरल वाक्य (Simple sentence): सरल वाक्य वह है जिसमें एक ही क्रिया होती है। इसमें एक उद्देश्य होता है और एक विधेय। जैसे-बादल बरसता है। राम खाता है इनमें एक-एक उद्देश्य अर्थात् कर्त्ता और विधेय अर्थात् क्रिया होती है। इसीलिए इन्हें सरल वाक्य कहा जाता है।
2. मिश्र वाक्य (Complex sentence): मिश्र वाक्य उसे कहते हैं, जिसमें एक सरल वाक्य के अतिरिक्त उसके अधीन कोई अन्य अंग वाक्य हो। जैसे-वह कौन-सा भारतीय है जिसने महात्मा गांधी का नाम न सुना हो। इस वाक्य में ‘वह कौन-सा भारतीय है’ मुख्य वाक्य है दूसरा अंग वाक्य है जो मुख्य वाक्य पर आश्रित है।
3. संयुक्त वाक्य (Compound sentence): संयुक्त वाक्य वह है जिसमें सरल या मिश्र वाक्यों का मेल संयोजन अव्ययों द्वारा होता हो। वस्तुतः इसमें दो या दो से अधिक सरल या मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त होते हैं। जैसे-मैं स्कूल जा रहा था कि पानी बरसने लगा और पानी इतना तेज बरसा कि मुझे एक पेड़ के पास रुकना पड़ा। राम आया और श्याम चला गया। इनमें पहला मिश्र वाक्यों तथा दूसरा सरल वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बना है। वस्तुतः संयुक्त वाक्य में प्रत्येक वाक्य की अपनी स्वतन्त्र सत्ता रहती है।
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद
1. विधिवाचक वाक्य Affirmative sentence): इससे किसी बात के होने का बोध होता है। जैसे-राम खा चुका।
2. निषेधवाचक वाक्य (Negative sentence): इससे किसी बात के न होने का बोध होता है। जैसे-मैंने पुस्तक नहीं पढ़ी।
3. आज्ञावाचक वाक्य (Imperative sentence): जिस वाक्य से किसी तरह की आज्ञा का बोध हो उसे आज्ञावाचक कहते है। जैसे-तुम काम करो? तुम लिखो।
4. प्रश्नावचक वाक्य (Interogative sentence): जिस वाक्य से प्रश्न किये जाने का बोध हो उसे प्रश्नवाचक कहते हैं। जैसे-तुम कहां जा रहे हो?
5. विस्मयवाचक वाक्य (Exclamatory sentence): इससे आश्चर्य, दुख अथवा सुख का बोध होता है। जैसे-हाय! मैं लुट गया!
6. सन्देहवाचक वाक्य: इस वाक्य से किसी बात के सन्देह का बोध होता है। जैस-उसने देखा होगा। मैंने कहा होगा।
7. इच्छावाचक वाक्य: इससे किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना का बोध होता है। जैसे-तुम्हारा मंगल हो।
8. संकेतवाचक वाक्य: इसमें एक वाक्य दूसरे वाक्य की संभावना पर निर्भर करता है। जैसे-यदि तुम चलो तो मैं भी चलूं। डाक्टर न आता तो वह मर जाता।
वाक्य रचना के सामान्य नियम
(क) क्रम (Order)
क्रम अथवा पदक्रम के अन्तर्गत किसी वाक्य के सार्थक शब्दों को यथास्थान रखा जाता है। इसके सामान्य नियम नीचे प्रस्तुत है।
1. वाक्य के शुरू, मध्य और अंत में क्रमशः कर्त्ता, कर्म और क्रिया होनी चाहिए। जैसे-‘राम ने रोटी खाई’ में कर्त्ता, ‘राम’, ‘कर्म ‘रोटी’ और अंत में क्रिया ‘खाई’ है।
2. वाक्य के प्रारम्भ में सम्बोधन आता है। जैसे-हे ईश्वर! उस गरीब की रक्षा करो।
3. वाक्य में विशेषण संज्ञा (विशेष्य) के पहले आता है। जैसे-उसकी सुन्दर कलम मेरे ही पास है।
4. क्रियाविशेषण का प्रयोग क्रिया के पहले होता है। जैसे-रामसिंह तेज दौड़ता है।
कर्त्ता और क्रिया का मेल
1. यदि वाक्य में कर्त्ता विभक्तिरहित है तो उसकी क्रिया के लिंग, वचन, पुरुष कर्ता के लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार होंगे। जैसे-राम पुस्तक पढ़ता है। सोहन मिठाई खाता है। सीता स्कूल जाती है।
2. यदि वाक्य में एक ही लिंग, वचन और पुरुष के अनेक विभक्तिरहित कर्त्ता हो और अन्तिम कर्ता के पहले ‘और- संयोजन आया हो तो इन कर्त्ताओं की क्रिया उसी लिंग के बहुवचन में होगी। जैसे-राम, श्याम और उर्मिला स्कूल जाती हैं।
3. यदि वाक्य में दो भिन्न लिंगों के कर्त्ता हों और दोनों द्वन्द्व समास के अनुसार प्रयुक्त हों तो उनकी क्रिया पुल्लिंग बहुवचन में होती। जैसे-माता-पिता गए। राजा-रानी सो गए। स्त्री-पुरुष आ रहे हैं।
4. यदि वाक्य में अनेक कर्त्ताओं के बीच विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय ‘या’ अथवा ‘वा’ रहे तो क्रिया अन्तिम कर्त्ता के लिंग और वचन के अनुसार होगी। जैसे-मोहन की दस गायें या एक बैल बिकेगा। श्याम की एक तौलिया या पांच कंबल बिकेंगे।
5. यदि वाक्य में दो भिन्न लिंग विभक्ति रहित एकवचन कर्त्ता हों और दोनों के बीच ‘और’ संयोजन आए तो उनकी क्रिया पुल्लिंग और बहुवचन में होगी। जैसे-राम और सीता लीला करते हैं। बकरी और बाघ पानी पीते हैं।
6. यदि वाक्य में दोनों लिंगों और वचनों के अनेक कर्त्ता हो तो क्रिया बहुवचन में होगी एवं उसका लिंग अन्तिम कर्त्ता के अनुसार होगा। जैसे-एक लड़की, दो लड़के तथा अनेक बूढ़े पुरुष आ रहे हैं। एक भैंस, दो बैल तथा अनेक गायें चर रही हैं।
कर्म और क्रिया का मेल
1. यदि कर्त्ता और कर्म दोनों विभक्ति चिह्नों से युक्त हो तो क्रिया सदा एकवचन, पुल्लिग और अन्य पुरूष में होगी। जैसे-लड़कियों ने लड़कों को ध्यान से देखा। तुमने उसे देखा। मैने राधा को बुलाया।
2. यदि कर्त्ता ‘को’ प्रत्यय से युक्त हो और कर्म के स्थान पर कोई क्रियार्थक संज्ञा आये तो क्रिया सदा एकवचन, पुलि्ंलग और अन्य पुरुष में होगी। जैसे-उसे (उसको) पुस्तक पढ़ना नहीं आता। तुम्हें (तुमको) बात करना नहीं आता। सीता को रसोई बनाना नहीं आता।
3. यदि वाक्य में कर्त्ता ‘ने’ विभक्ति से युक्त हो और कर्म की ‘को’ विभक्ति न हो तो उसकी क्रिया, कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होगी। जैसे-विमला ने किताब पढ़ी। मैंने लड़ाई जीती। राम ने रोटी खाई। उसने क्षमा मांगी।
4. यदि एक ही लिंगवचन के अनेक प्राणि-अप्राणिवाचक अप्रत्यय कर्म एक साथ एकवचन में आयें तो क्रिया भी एकवचन में होगी। जैसे-उसने एक बैल और एक गाय खरीदी। राम ने एक किताब और एक पेन खरीदी।
5. यदि एक ही लिंग और वचन के अनेक प्राणिवाचक अप्रत्यय कर्म एक साथ आयें तो क्रिया उसी लिंग में बहुवचन में होगी। जैसे-राम ने गाय और भैंस मोल ली।
6. यदि वाक्य में भिन्न-भिन्न लिंग के अनेक अप्रत्यय कर्म आयें और वे ‘और’ से जुडे़ हों तो क्रिया अन्तिम कर्म के लिंग और वचन में होगी। जैसे-उसने पापड़ और रोटी खायी। सीता ने रोटी और आम खाया।
(ग) वाक्यगत प्रयोग (Use)
वाक्यगत प्रयोग सम्बन्धी कुछ बातें देने योग्य हैः
1. एक वाक्य से एक ही भाव प्रकट होना चाहिए।
2. शब्दों के प्रयोग में व्याकरण के नियमों का पालन होना चाहिए।
3. वाक्य की योजना स्पष्ट हो तथा शैली के अनुकूल शब्दों का प्रयोग हो।
4. अधूरे वाक्यों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. वाक्य में सभी शब्दों का प्रयोग एक काल, एक स्थान एवं एक ही साथ करना चाहिए।
6. व्यर्थ शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
7. वाक्य में यत्र-तत्र मुहावरों एवं कहावतों का प्रयोग अच्छा होता है।
8. ध्वनि और अर्थ की संगति पर ध्यान देना चाहिए।
9. वाक्य में एक ही व्यक्ति अथवा वस्तु के लिए कहीं ‘यह’ एवं कहीं ‘वह’, कहीं ‘आप’ और कहीं ‘तुम’, कहीं ‘इसे’ और कहीं ‘इन्हें’, कहीं ‘उसे’ और कहीं ‘उन्हें’, कहीं ‘उसका’ और कही ‘उनका’ आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
10. अप्रचलित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
11. पुनरुक्तिदोष से वाक्य को मुक्त रखना चाहिए।
12. हिन्दी में परोक्ष कथन (Indirect narration) का प्रयोग नहीं होता है। जैसे-उसने कहा कि उसे कोई आपत्ति नहीं है। यह उदाहरण हिन्दी की प्रकृति के अनुकूल नहीं अतः इसका रूप इस प्रकार होगा-‘उसने कहा कि मुझे आपत्ति नहीं है।’
वाक्य परिवर्तन
(TRANCEFORMATION OF SENTENCE)
वाक्य परिवर्तन उसे कहते हैं जिसके एक प्रकार के वाक्य में, बिना अर्थ बदले, परिवर्त्तित किया जाता है। हम किसी भी वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदल सकते हैं। लेकिन परिवर्तन करते समय यह ध्यान में रहना चाहिए कि वाक्य का मूल अर्थ किसी भी दिशा में विकृत न हो।
1. सरल वाक्य: सुन्दर लड़कियां अच्छी लगती है।
मिश्र वाक्य: जो लड़कियां सुन्दर होती हैं, वे अच्छी लगती हैं।
2. सरल वाक्य से संयुक्त वाक्यः
सरल वाक्य: बीमार होने के कारण श्याम परीक्षा में फेल हो गया।
संयुक्त वाक्य: श्याम बीमार था और इसीलिए परीक्षा में फेल हो गया।
3. मिश्र वाक्य से सरल वाक्यः
मिश्र वाक्य: जो छात्र परिश्रम करते हैं उन्हें अवश्य सफलता मिलती है।
सरल वाक्य: परिश्रम करने वाले छात्र को अवश्य सफलता मिलती है।